अनुष्का शर्मा-वरुण धवन का कमाल बरकरार
सुई धागा' ने बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत के बावजूद तेज चाल
चलना शुरू कर दिया. 'सुई धागा' ने देश के सिनेमाघरों से कमाई का आंकड़ा 50
करोड़ के पार कर लिया. 30 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने 5 दिनों
में 55 करोड़ से ज्यादा का जबरदस्त बिजनेस कर डाला है.
'सुई धागा' को 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती की छुट्टी का जमकर फायदा मिला
है. बॉक्स ऑफिस इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को फिल्म ने 11.50
करोड़ रुपये का बिजनेस किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेड इन इंडिया'
कैम्पेन पर आधारित फिल्म ने ओपनिंग डे पर 8 करोड़, शनिवार को 11.50,
रविवार को 16 करोड़, सोमवार को 7 करोड़,मंगलवार को 11.50 करोड़ और बुधवार
को 3.80 करोड़ रुपये बटोरे हैं.
'सुई धागा' ने शुरुआती 6 दिनों में 59.15 करोड़ रुपये का शानदार बिजनेस कर डाला है. यह आंकड़ा ट्रेड एनलिस्ट तरण आदर्श ने ट्विटर के जरिए दी.
मौजी हमेशा कहता है ‘सब बढ़िया है’। सच भी है मौजी की दुनिया की दुनिया रचने वाले शरत कटारिया जिन्होंने ‘दम लगा के हईशा’ जैसी खूबसूरत फिल्म बनाई थी उन्हें लगा कि मौजी की दुनिया में सब बढ़िया है। लेकिन, जब इसे उन्होंने बड़े पर्दे पर फिल्माया तो दर्शकों को लगा सब तो बढ़िया नहीं है।
यह कहानी है मौजी (वरुण धवन) की, कढ़ाई में माहिर और उसकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की। मौजी जहां काम करता है वहां पर हर रोज उसका मजाक उड़ाया जाता है।
फिल्म के गाने भी फिल्म का साथ नहीं दे रहे हैं। अनिल मेहता की सिनेमैटोग्राफी के कारण फिल्म दर्शनीय बन पाई है। चारू श्री रॉय को एडिटिंग पर थोड़ा और काम करना था। कुल मिलाकर ‘सुई धागा’ एक कच्चे धागे से बुनी हुई फिल्म है। इस कहानी को थोड़ा और पकाया होता तो शायद बेहतर फिल्म बन पाती!
'सुई धागा' ने शुरुआती 6 दिनों में 59.15 करोड़ रुपये का शानदार बिजनेस कर डाला है. यह आंकड़ा ट्रेड एनलिस्ट तरण आदर्श ने ट्विटर के जरिए दी.
मौजी हमेशा कहता है ‘सब बढ़िया है’। सच भी है मौजी की दुनिया की दुनिया रचने वाले शरत कटारिया जिन्होंने ‘दम लगा के हईशा’ जैसी खूबसूरत फिल्म बनाई थी उन्हें लगा कि मौजी की दुनिया में सब बढ़िया है। लेकिन, जब इसे उन्होंने बड़े पर्दे पर फिल्माया तो दर्शकों को लगा सब तो बढ़िया नहीं है।
यह कहानी है मौजी (वरुण धवन) की, कढ़ाई में माहिर और उसकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की। मौजी जहां काम करता है वहां पर हर रोज उसका मजाक उड़ाया जाता है।
फिल्म के गाने भी फिल्म का साथ नहीं दे रहे हैं। अनिल मेहता की सिनेमैटोग्राफी के कारण फिल्म दर्शनीय बन पाई है। चारू श्री रॉय को एडिटिंग पर थोड़ा और काम करना था। कुल मिलाकर ‘सुई धागा’ एक कच्चे धागे से बुनी हुई फिल्म है। इस कहानी को थोड़ा और पकाया होता तो शायद बेहतर फिल्म बन पाती!
'अक्टूबर (2018)' को छोड़ उनकी सभी फिल्में हिट रही हैं. भले ही 'अक्टूबर' बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा न चला पाई हो, लेकिन फिल्म 'सुई धागा' के जरिए वह उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर दोबारा राज़ किया.
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